chal jheel kinare chalte hain..
Chal jheel kinaray chaltay hen,
Chal jheel kinaray chaltay hen,
Jahan phool kanwal k khiltay h
Jahan panchi roz utar tay hen,
Jahan barish roz barasti hai,
Jahan batain payar ki hoti hen,
Jahan khushbo har simt rehti hai,
Jahan nafrat se sab ko nafrat hai,
Jahan khawab suhanay aatay hen,
Jahan zakhmi roohain b khush ho jati hen,
Chal jheel kinaray chaltay hen ….chal..
चल झील किनारे चलते हैं.
चल झील किनारे चलते हैं.
जहां फूल कमल के खिलते हैं.
जहां पंछी रोज उतरते हैं.
जहां बारिश रोज बरसती है.
जहां बातें प्यार कि होती हैं.
जहां खुशबू हर सिम्त रहती है.
जहां नफरत से सबको नफरत है.
जहां ख्वाब सुहाने आते हैं.
जहां जख्मी रूहें भी खुश हो जाते हैं
चल जील किनारे चलते हैं…..
चल झील किनारे चलते हैं……
बहुत दिनों के बाद आज मैं अपने ब्लॉग पैर कुछ लिख रहा हूँ…
किसी शाएर ने कहा है .. मोहब्बत के सेवा घाम और भी हैं… तो दोस्तों इस blogging के सिवा मेरे साथ कई मसले है जिनमे मिं उलझा रहता हूँ.. साथ में proffessional study..अलग …
अब कुछ लिखने के लिए बहुत कम टाइम निकल पता हूँ.
खैर!!!! अब मैं कोशिश करूँगा के हर हफ्ते कम से कम एक बार अपने इस ब्लॉग पर कुछ न कुछ लिखूं.
خدا حافظ …. good day!!!!
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